2015-05-02 16:52:19 +0000 | मंदिर की घंटियों से आयी याद, तेरी आवाज़ भी कुछ यूँ ही छनकती थीl |
2015-02-26 19:58:46 +0000 | पच्चासी सालाह बुज़ुर्ग नवजात पोते को सुला रही थीl दोनों रो रहे थेl लोरी रीमिक्स हो गईl बहू-बेटा दुनो दफ़्तर जात हैं-महँगाई डायन मारे लात हैl |
2015-05-15 16:01:36 +0000 | आईना यह बताएगा क्या शबाब है, मुझसे मत पूछ – मेरी हालत ख़राब हैl |
2015-12-03 21:54:01 +0000 | कभी तेरी बारिश सुकून देती है, ऐ ख़ुदा, अपना ग़म तेरी आँखों से निकलता गोया दिखाई देl |
2015-12-04 16:47:41 +0000 | ना शाखाओं ने जगह दी, न हवाओं ने बख्शा, मै टूटा हुआ पत्ता, आवारा नहीं तो क्या बनता… |
2015-12-06 19:06:04 +0000 | जाड़ों की धूप ने जो किवाड़ पर दस्तक दी, हमारे क़िस्सों में तुम्हारा ज़िक्र हो गया, गोयाl |
2015-12-06 19:50:15 +0000 | निहायती सरगरां है यह गाजर की लाली, ईंसा का खूं हल्का लगे है इसके सामनेl |
2015-12-06 20:20:04 +0000 | आगाह किया था हमारी नज़रों ने आपको That my beauty is only skin deep दो बच्चों के बाद समझ आया आपको That I have only promises to keep |
2015-12-09 16:49:57 +0000 | पुरानी किताब के पन्नों में इक मुड़ा – तुड़ा सा नोट था। जानता था, माँ ने ही रखा होगा। हमें पालने में, वह भी तो वैसी ही हो गईl |
2015-12-09 18:12:01 +0000 | कल उनके हम अंदलीब थे – आज ग़र हम अदीब हैं, वह कल भी पास-पास थीं, वह आज भी क़रीब हैंl |
2015-12-09 18:54:03 +0000 | वह शाम कुछ अजीब थी – यह शाम भी अजीब है, सोते हो तुम जगाकर हमें – यह कौन सी तहज़ीब हैl |
2015-12-10 17:11:42 +0000 | कौन जाए ज़ौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर, किताबों के पन्नों को कुछ इक आधा सा मोड़करl |
2015-12-11 18:01:57 +0000 | जुस्तजू जिसकी थी, उसको तो न पाया हमनें, बोसिदा से दिल के कंबल पर लिहाफ़ चढ़ाया हमनेंl |
2015-12-11 18:02:08 +0000 | कब मिली थी, कहां बिछड़ी थी, हमें याद नहीं, खिले हम उसके पहले रहते थे, उसके बाद नहींl |
2015-12-12 18:25:12 +0000 | जबसे प्रगति के मानक, यह तंत्र, मंत्र बन गए, तबसे पन्नों के किरदार, निकल कर, यंत्र बन गए |
2015-12-14 17:58:46 +0000 | घर में झगड़ा था। वही सास-बहू का। बीवी के आसूँ – माँ का त्याग सुनो। परली तरफ़ गाना बज रहा था – दिल का भँवर करे पुकार, प्यार का राग सुनो… |
2015-12-15 14:15:45 +0000 | कब से हूँ, क्या बताऊँ जहाँ-ए-खराब में, वह ज्यूं आए, आग सी लग गई है आब में। |
2015-12-15 14:23:27 +0000 | क़ासिद के आते आते खत एक और लिख रखूँ, भूले से घुल न जाऊँ जनाब-ए-शबाब मेंl |
2015-12-15 14:33:29 +0000 | ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी, कभी-कभी, नज़र भर देख लेता हूँ वह फूल, किताब में। |
2015-12-16 14:55:13 +0000 | ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय, जाड़ों की धूप – अदरकी चाय, ईक ज़माने में गले लगते थे, अब तो फ़ख्त Hi और Bye. |
2015-12-17 17:38:37 +0000 | हम हैं राही प्यार के, हम से कुछ ना बोलिए, बीवी ने तौलिए दिए, हमनें वह भी धो लिए… |
2015-12-17 17:38:54 +0000 | धूप थी नसीब में, धूप में लिया है दम, बच्चे हुए तो हम, उनके मोह में जी लिए.. |
2015-12-17 17:46:22 +0000 | दिल पे आसरा किये, हम तो बस यूँ ही जिए, जिंदगी की दौड़ में, सपने कुछ संजो लिएl |
2015-12-20 18:06:17 +0000 | शहर के दरख्तो से सैर पर मुलाकात हुई ताजी हवा में हाल-ए-दिल की बरसात हुई तुम्हारी भी कट रही है हमारी तरह अमां मियां अब यह भी क्या बात हुई |
2015-12-21 19:01:10 +0000 | अजीब दास्तां है यह, कहां शुरू कहां खत्म, फ़िरनी से पहले, ज़रा बिरयानी का दमl यह मंज़िले है कौन सी, न मुर्ग समझ सके न हमl |
2015-12-22 18:24:25 +0000 | मंडी में गोभी का फूल उठाते,उसने इज़हारे इश्क किया ही था के भोंपू वाला ऑटो रिक्शा बजाते हुए निकला ‘भँवरे ने खिलाया फूल, fool को ले गया…’ |
2015-12-24 17:04:41 +0000 | ‘डाक्टर साब,जब भी चाय पीता हूँ,उतना ही धुआं मुहँ और कान से निकलता है’ ‘आप या तो जाड़े बर्दाश्त नहीं कर पा रहे या बीड़ी बहुत पी रहे हैं’ |
2015-12-27 15:41:11 +0000 | जिंदगी देने वाले सुन, तेरी दुनिया से दिल भर गया, इस ज़माने में पन्ना स्याही से मुख़्तलिफ हो गयाl |
2015-12-27 16:43:57 +0000 | बिन कहे दिल की बात समझ लेते थे गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे तब ना मोबाइल था ना लपतोप एक चिट्ठी से ही दिली जज़्बे समझ लेते थे |
2015-12-28 16:12:10 +0000 | तुमको देखा तो ये खयाल आया, झुरमुट से चाँद निकल आया, तुम चले जाओगे तो सोचेंगे सूरज ने फिर सपना तुड़वायाl |
2015-12-28 17:09:13 +0000 | पहाड़ों की शृंखला के दरमियां कुछ जुगनू से टिमटिमा रहे थे। पगडंडी से चढ़कर नज़र इक चाय की टपरी पर उतरी तो लक्की अली की आवाज़ पूरा कर गईl |
2016-01-02 05:35:58 +0000 | उन लम्बे से पहाड़ों में छोटे से तारे यूँ साफगोई से मुस्कुराते लगते हैं गोया इन छोटे से बच्चों के गालों पर छाई हुई लम्बी सी खिलखिलाहट। |
2016-01-03 17:54:48 +0000 | हुकूमतों ने दो मुल्क आज़ाद कर दिए, अवाम को लगा जैसे आबाद कर दिए, हुकूमतों ने फ़िर सालों फ़साद कर दिए, अवाम में जाने कितने बर्बाद कर दिएl |
2016-01-11 18:58:43 +0000 | मौत ने रिश्तेदारों से वाबिस्ता कर दिया, हमारे मकां को एक दफ़े घर कर दियाl |
2016-01-12 17:31:58 +0000 | ईश्क उसी रात हलाक़ हो गया, दिमाग़ जिस दिन चालाक हो गयाl |
2016-01-14 18:02:57 +0000 | कमबख़्त सच की ऐसी लत लगी है यारों, सारे शहर में बदनाम हो कर रह गए हैंl |
2016-01-21 16:05:59 +0000 | दिल्ली के जाड़े, थोड़ा सा रोगन जोश, दस्तानों में दास्तानें। दिल्ली के जाड़े, दो गर्म से दिल, अंगीठी और शामियाने ॥ |
2016-02-01 16:38:12 +0000 | Divorce Eve: Husband- लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो Wife- शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो Dedicated to d one n only #Sadhna |
2016-02-03 16:06:53 +0000 | भकभक अड्डे के व्हीलर पर कुछ झुकी हुईं गर्दने दिखीं। प्रसन्नचित वहीं बढ़े। सभी पुस्तकों पर सचल दूरभाष यंत्र से खेल रहे थे। गर्दन झुक गई। |
2016-02-05 16:26:39 +0000 | पहला: भाई, क्या करते हो आप? दूसरा: फूलों का व्यापार। पहला: प्रेम दिवस पर तो ज़ोरों मे होगा👍 दूसरा: बेशक। उसमें fool भी हैं, व्यापार भी😊 |
2016-02-05 18:30:04 +0000 | लड़की शादी पर(प्रेमी को)-यह गलियां यह चौबारा,यहां आना न दोबारा,अब हम तो भए परदेसी के तेरा यहां कोई नहीं मायका शादी पर(लड़की को)-वही गीत |
2016-02-06 16:11:14 +0000 | पंडितजी उसी रोज़ से मांसाहारी हो गए, दाल के भाव जब मुर्गे पर भारी हो गए, पेट का कोई मज़हब नहीं होता यारों, तिवारीजी हो हम या बुखारी हो गएl |
2016-02-11 16:14:11 +0000 | #ValentinesDay चाबी का गुच्छा ज्यो माँगा उनसे तो उनके लगे बैठे लड़के ने परिचय माँगा।हम कहे के सामान स्थानांतरित करते हैं।वही निकालना है |
2016-02-13 16:04:19 +0000 | आर्थिक मंदी इतनी फ़ैल गयी है कि लोग अपनी ही बीवी से प्यार करने लगे हैं..। #ValentinesDay |
2016-02-14 11:48:31 +0000 | चंदा:तुम दोनो आज कुछ ज्यादा ही टिमटिमा रहे हो? एक तारा:आज ६८वी सालगिरह है हमारी।आपके साथ पहली। #ValentinesDay पर नाना-नानी बड़े याद आए। |
2016-02-14 14:19:05 +0000 | उसके भाई से साइकल पम्प लेने के बहाने उसे देख दिल हरा-भरा रहता था।उसके ब्याह पर भरी आँखो से पम्प ही दे दिया।उसका घर भरा रहे -मूर्ख आशिक |
2016-02-18 18:47:41 +0000 | यह भी एक नज़रिया –
तमाम उम्र हमनें तेरा इंतज़ार किया और… |
2016-02-23 17:26:50 +0000 | आपने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा, पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया। |
2016-02-25 18:59:11 +0000 | मुहब्बत करनी है ग़र तो भी वक़्त पर कर अंधेरे में तेरे साये भी छोड़ देंगे तेरा घर |
2016-03-11 18:00:05 +0000 | तेरा हिज्र भी सहा हमनें, शादी भी सह गए उम्मीद तब थी, पर आसार अब कम रह गए तेरे बच्चे हमें मामूं कह गए और दिल के अरमां आसूँओ में बह गए। |
2016-03-17 17:13:55 +0000 | Pre – Appraisal:Notes from an Employee. यह नयन डरे-डरे, यह जाम भरे-भरे, ज़रा पीने दो कल की किसको ख़बर, इक रात होके निडर, मुझे जीने दो |
2016-03-17 17:36:22 +0000 | Post-Appraisal:Notes from an Employee to his Boss ‘प्यार में है जीवन की खुशी,देती है खुशी-कई ग़म भी मैं मान भी लूं कभी हार,तू माने ना’ |
2016-03-17 17:43:22 +0000 | Post-Appraisal Job Offer:Notes from a New Employee ‘रात हसीं,यह चाँद हसीं,तू सबसे हसीं मेरे दिलबर और तुझसे हसीं तेरा प्यार,तू जाने ना’ |
2016-03-28 18:43:55 +0000 | यदा-कदा सार्वजनिक दूरभाष केंद्र याद आ जाते हैं। जेब अक़्सर खाली रहती थी। उसकी आवाज़ सुनने को जो तरसते थे तो वहीं से मुफ्त में सुनते थे। |
2016-03-29 20:12:32 +0000 | आज़ादी को सवेरे खाई के किनारे पड़ा पाया।बूढ़ी हो चली थी।सिमटी सी बोली-‘स्वयंवर में मुझे घर लाए थे और अब खुद ही मार दिया?सीता हूँ क्या?’ |
2016-04-14 22:01:55 +0000 | तेरे साथ,उस शहर की सहर मे सैर करके जो पसीने छूटते थे वह,गाड़ी के वातानुकूलित आसन मे अलग-थलग बैठकर आते नही रिश्ते गर्मी से पनपते है शायद |
2016-04-20 19:06:28 +0000 | सामाजिक संचार माध्यम और भारतीय प्रांतो की आपसी लड़ाई से प्रभावित अंग्रेजी की सर्वमान्यता ने,कुछ शब्द भुला दिए-‘वीरवार’ सुना तो याद आया। |
2016-05-09 19:36:02 +0000 | सवेरे की चाय से रात को लेटे-लेटे सर्वोपरि सिर्फ तू ही तो है मेरे बेटे #HappyMothersDay #MothersDay |
2016-05-16 20:01:17 +0000 | सत्रह साल की उम्र में उसे फूल दिया था।गेंदें का फूल था।ड्योढ़ी पर बैठ चबा गईं वह।सत्तर साल की उम्र में एहसास हुआ-वह उसका पहला चुंबन था |
2016-05-26 20:07:02 +0000 | बावड़ी के पानी से ही प्यास मिटती है अपने अक्स दे नाल ही जिंदगी कटती है |
2016-06-18 20:19:38 +0000 | उनींदी आँखों से तकिए की ओर देखा गोया कोई अपना न मिला मन के जानिब सोया |
2016-07-20 18:29:53 +0000 | ‘तुझे देखा तो यह जाना सनम प्यार होता है दीवाना सनम अब यहा से कहा जाए हम तेरी बाहो मे मर जाए हम’ Birthday song 4 wife with pun intended |
2016-07-22 17:43:46 +0000 | दिल्ली का दिल जब कभी भर उठता है तो… वही बारिश याद आती है। गीली सी। वही बारिश। पानी सी। चलो। थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ। |
2016-07-30 19:36:49 +0000 | रुतबे से याराना वह करता नहीं नफ़े-नुक्सान से वह डरता नहीं फ़ख़्त मन की ज़ुबां समझे है गँवार दिल का बच्चा यारों मरता नहीं |
2016-09-01 16:55:51 +0000 | रात की सुबह हुई,कहीं उदासी,कहीं मज़े थे शाम के कुछ साढ़े सात से बजे थे लाली फ़लक से उतरकर उसके माथे चढ़ी शादी पर कुछ शामियाने से सजे थे |
2016-09-06 16:16:18 +0000 | बच्चा:अध्यापक ने कहा के राजनीति या जानवरों से संबंधित एक मुहावरा याद करके आनाl माँ:हाथी के दाँत खाने के और,दिखाने के औरl दोनों पर पूराl |
2016-09-07 16:42:45 +0000 | इब्तदा-ए-इश्क में हम सारी रात जागे सपनों की दुनिया कितनी प्यारी लागे पर पैसा मोहब्बत से है काफ़ी आगे सुबह होते ही हम दफ़्तर की ओर भागे |
2016-09-09 19:36:35 +0000 | मैं मोहब्बत को ढूँड़ना बंद कर दूँगा उस रोज़ एक शख़्स मुझे दिखा जो मेरी ख़ुशी में ख़ुश हो |
2016-09-11 23:52:35 +0000 | शुक्रां कर तू मौत के वजूद का, ज़िंदगी तुझे गुज़ार ही रहें हैं हम, उससे डर कर |
2016-09-12 12:30:35 +0000 | Conversations of #NextGen : Hi. हायl Hws U? ठीक हूँl Muv? कौन सी? HG? हिंदी? Dis s Hindi. क्या? @halfgirlfriend Hw हिंदी? Dats nt cul. |
2016-09-13 01:02:35 +0000 | कुछ शब्दों के मायने ख़त्म हो चले हैं – आमीन होl #बुज़ुर्ग #ज़ुबां #ग़ैरत #इंसानियत #ईमानदारी #शर्म #निष्ठा #विश्वास #परोपकार #निस्वार्थ |
2016-09-14 16:11:35 +0000 | छत की शीतल पुरवाई के मुक़ाबले वातानुकूलित घर? जैसे… बचपन के मुक़ाबले जवानी और शायरी के मुक़ाबले कहानीl |
2016-09-15 16:13:35 +0000 | मुंगेर की गंगा का पाट और दीघा का घाट, जन्नत में जैसे की गई साँठ-गाँठl |
2016-09-16 00:56:35 +0000 | ऐ ख़ुदा तू इतना कर्म कर दे, मेरी ज़रूरतों को थोड़ा कम कर देl |
2016-09-17 21:51:35 +0000 | Husband: My friend passed away today. Wife: Oh! So young. Sad. H: अच्छों के साथ हमेशा बुरा होता है। W: सही कहा। शादी के बाद पता चला। |
2016-09-18 01:38:35 +0000 | रवानगी पर गले लगीl उसकी नर्म आँख के पानी ने वर्दी भिगो डाली रेगिस्तां पर गोली लगीl उस गर्म घड़े के पानी ने वर्दी भिगो डाली फ़ौजी फ़ौतनामा |
2016-09-19 02:10:35 +0000 | अतुल्य से मेरी तुलना न कर, मैं तुलनात्मक भाव्य नहीं, मैं छंद छंद में जीता हूँ , मैं कालिदास का काव्य नहींl |
2016-09-20 23:29:35 +0000 | मैं फ़र्ज़ निभाता रहा, तुम उसे काटते रहे हिस्से हिस्से में देश को बाँटते रहे, थक चुका हूँ, अब मुझे सोने दो मेरे यतीम बच्चों को नए खिलौने दो। |
2016-09-21 22:39:35 +0000 | दराज़ की सफ़ाई में एक अधेढ़ उम्र कविता मिलीl वह कभी ज़िंदगी थी मेरीl दुनियादारी के फ़ेर में ख़बर से निकाह करना पड़ाl आराम बहुत है-सुकूँ नहीं |
2016-09-23 21:45:35 +0000 | टोपी देख उसे दौड़ाया पीटो-पीटो शोर आया, अक्षर एक से-माने जुदा हैं लोग एक से-अनेक ख़ुदा है, टोपी बेचना उसका कर्म था पर टोपी का भी एक धर्म था। |
2016-09-26 00:20:35 +0000 | ‘चाहते क्यूँ हो हमें इतना? सिर्फ़ मर्दाना हसरतें हैं या वाक़ई कुछ आली है हम में?’ ‘क्यूँकि तुम एक सवाल होl’ ‘माने?’ ‘तुम्हारा जवाब नहींl’ 🙂 |
2016-09-27 00:48:35 +0000 | छावनी की छांव में एक एकल पीपल हैl बड़ी ठंडक मिलती है उसके तलेl उस प्रहरी स्थान परl आज वहीं तैनात हूँl पर तले नहींl ऊपरl मैं कल शहीद हुआ थाl |
2016-09-29 00:54:35 +0000 | दीवाली की सफ़ाई होनी थीl बे-तरतीब घर को देख, बेग़ारी का मन न कियाl तेरे जाने के बाद, कम-ओ-बेश, यही हाल दिल का हैl आतिशबाज़ी अब रास नहीं आतीl |
2016-10-01 23:31:35 +0000 | ऐैनक झुका कर यूँ देखा उसने हमें, मानो हम आशिक़ नहीं, आरसी हो गए, सहर हुई, हलचल हुई, इश्क़ियाँ हुईं, और हम अरश्द से वारसी हो गएl |
2016-10-03 02:38:35 +0000 | अपने को अपनों से ऊपर रखने से अपन ख़त्म हो जाते हैं, रिश्ते टूट जाएँ तो क्या वह रिश्ते ख़त्म हो जाते हैं? |
2016-10-10 04:31:35 +0000 | कुंडी लगाई तो थी हमनें दिल पर, किवाड़ बंद किए थे सुबह से पहले, वह बे-मौसम लौट आए आँधी लिए, कोई कब तक और कैसे सह लेl |
2016-10-12 23:27:35 +0000 | विजयदशमी उत्सव संवाद –
पिताजी: तो बेटा, रामलीला से क्या सीखा? #vijayadashami #Dussehra |
2016-10-13 22:06:35 +0000 | तू मंदिर न खोल उस अक़ील के लिए तू मस्जिद न खोल मेरे अखिल के लिए मैं चोर हूँ, अपने बच्चों का ग़िलाफ हूँ फ़िर भी ताला संस्कृति के ख़िलाफ़ हूँl |
2016-10-14 22:29:35 +0000 | किताब नगर की पन्ना गली में कथा के घर, एक किरदार गुज़र गया। शेष यात्रा के बोल थे- जो पढे़गा वह बढ़ेगा। टीवी हँस के बोला- जो दिखेगा वह बिकेगा। |
2016-10-15 02:32:35 +0000 | बेटा:फ़ौज का सबसे अहम ऊसूल क्या है? फ़ौजी:वफ़ादार सवाल नहीं करतेl बेटा:तो क्यों कहे हैं-भय बिन प्रीत होत नाही? फ़ौजी:वफ़ादार सवाल नहीं करतेl |
2016-10-16 00:45:35 +0000 | तमीज़ की कमीज़ पहना इंसान बना डाला माँ-बाप ने जंगल का क़ानून भुला डाला जैसा देस-वैसा भेस का ऊसूल है,मोगली पशुओं ने एक इंसान को आज सुला डालाl |
2016-10-17 02:08:35 +0000 | रोज़मर्रा की कहानीl बीवी बोलती रही,हम सुनते रहेl झगड़े से थक गयी तो बोली के बोलते क्यूँ नहीं हम? ऐसा है-जो कम बोलते हैं वह ज़्यादा जीते हैंl |
2016-10-21 11:37:35 +0000 | अज़ान पर एक कहानी गढ़ने को जी आया बंदे ने खिड़की खोली तो आपको खड़ा पाया, अजी, क़लम करके कहाँ चल दीं आप कहानी सामने थी, मैं कलम ना उठा पायाl |
2016-10-29 14:05:21 +0000 | छुटपुट पटाखों की आवाज़ से मेरा मासूम उठ पड़ता। पूछता – बा साब कब लौटेंगे? मैं थपकी देती, कहती – मैं हूँ ना। सुना, कल सरहद पर बमबारी हुई थी। |
2016-10-29 21:30:22 +0000 | सदर में ग़दर थाl अजीब मंज़र थाl सिख भाई मोलभाव कर रहे थेl मुस्लिम दुकानदार बोला- जनाब,दीवाली बरक़त लाती हैl मेरी भी होन दोl सदर में ग़दर थाl |
2016-11-09 21:52:37 +0000 | एक बच्चा थाl प्यारा-सरल-निश्छल-मोहब्बतीl सच्चा थाl कल अपनी इक्कीसवी सालगिरह पर वह मर गयाl एक आदमी रह गया और एक बच्चा गुज़र गयाl एक बच्चा थाl |
2016-11-09 23:25:40 +0000 | अफ़्सोस है अपने वजूद का अफ़्सोस है अपने खूं का, अफ़्सोस है पैदाइश का अफ़्सोस है ख्वाहिश का, सच है तो यही है, अफ़्सोस है मेरा और कुछ नहीं हैl |
2016-11-15 01:26:25 +0000 | चाँद के मांनिंद एक ख्याल छू कर निकल गया, गोया तुम जो जानिब होते तो क्या बात होती। |
2016-11-20 12:33:16 +0000 | गीली मोजरी के निशां छोड़ जाते थे वह मस्जिद से अपने मकाँ तलक, के हम ढूँढ़ लें उन्हें। उसी रहगुज़र पर अब गीले आँसूओ के कुछ निशां सूख चले हैं। |
2016-11-22 22:15:05 +0000 | एक था राजा, एक थी रानी, तभी आई एक नौकरानी, मर गया राजा, मर गई रानी, बची तो सिर्फ नौकरानी, नए युग की नई कहानी, राज करे है नौकरानी। |
2016-12-08 17:18:02 +0000 | दिल्ली के जाड़े, थोड़ा सा रोग़नजोश ज़रा सी जलेबी अंगीठी औ शामियानेl दिल्ली के जाड़े, दो गर्म से दिल रज़ाई की रज़ामंदी दस्तानो में दास्तानेंl |
2016-12-10 01:43:02 +0000 | आप मियाँ उनके होते हुए भी आज मुहाजिर हो गए, जाओ, हमारी दिल-ए-मस्जिद में वह काफ़िर हो गएl |
2016-12-10 01:53:02 +0000 | अलबत्ता, आपको मुबारक वह गमग़ीन सा ईद का चाँद हम, जनाब उन्हें याद करते करते फिर ज़ाकिर हो गएl |
2016-12-10 11:31:02 +0000 | रोज़मर्रा की क़श्मकश, बोझ लिए हम अमूमन सब ठेला, तलब गोया बोरा नुक्कड़ से निकले, याद आए तुम जिया लागे ना, तुम बिन मोरा |
2016-12-14 21:38:02 +0000 | एक शर्त पर बिसात बिछी। मात दो-हाथ लो। चालें चली। पर, इश्क शतरंज नहीं होता। हार ही लिए। अपनी रानी को कैसे मारें? वैसे,निकाह में आइएगा ज़रूर। |
2016-12-15 00:16:02 +0000 | चलो जहां तुम हो,ख़ुश-मैं भी न रोटी,मकान लत्ता,न दुकान तुम चलो,मैं तो साथी हूँ बच्चों को बहलाके आती हूँ (मर्हूम ददा,ख़ुशनवाज़,को दादी का ख़त) |
2016-12-19 00:01:02 +0000 | कौन कमबख़्त कहता है के मैं मर गया मेरा लल्ला सालों हमारे घर नहीं गया। मेरा लल्ला सालों हमारे घर नहीं गया कौन कमबख़्त कहता है के मैं मर गया। |
2016-12-21 00:58:02 +0000 | ताज़े मक्खन से चुपड़ी इक अदद गोल गर्म रोटी जाड़ों में मिली। माँ ज्यों चुपटा के सुलाती थी। ताज़गी, गर्माहट और माँ अब जाड़ों में कम मिलते हैं। |
2017-01-11 19:04:02 +0000 | रिश्तें टूट जाएँ पर सिलवटें नहीं हटतीं, तेरे तक़िए पर सोने से रातें नहीं कटतींl |
2017-01-13 23:10:02 +0000 | दुनिया भर की गप चलती गर्मी की छुट्टियों में, छत पर बेफ़िक्र लेटे चंदा तले। दुनियादारी रिश्तों को दूर सी करे है, मामा अब चंदा मामा से हो चले। |
2017-01-15 00:26:02 +0000 | छठे पहर में नज़्म हिसाब लेने आ धमकी। कहती, ‘ग़ज़ल के चक्कर में हमारी क़ीमत भूल बैठे?’ अब जिसे अंग्रेज़ी न आए, उसे क्या समझाएँ- Size Matters. |
2017-01-24 22:07:02 +0000 | तेरी आँखों की क़सम उठाते हैं, जो तेरे इश्क़ से गुरेज़ था हमें, चश्मे के पीछे से क़त्ल कर दें, तेरे अख़्तियार से परहेज़ था हमें। |